Akash Sahani, Kundan Nishad, Shubham Seth
आजमगढ़ । गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को लगभग ढाई दशक के बाद फैसला सुनाया। एएनआई द्वारा जारी सूचना के अनुसार टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की 12 अगस्त 1997 को मुंबई के जुहू इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक अन्य आरोपी अब्दुल रशीद को सत्र न्यायालय ने पहले बरी कर दिया था, जिसे बंबई उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराया है। अब्दुल राशिद दाउद मर्चेंट को हाइकोर्ट ने सजा सुनाए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा दी है। गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाईकोर्ट ने रऊफ मर्चेंट की सजा बरकरार रखी है। रमेश तौरानी के बरी होने को बरकरार रखा है, वहीं तौरानी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज हो गई है। बम्हौर गांव की चर्चा इस हत्याकांड में अहम रही है। इसी गांव में कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री में काम करने वाला देवनाथ नाम का व्यक्ति था, वह गन फैक्ट्री में नौकरी छोड़ने के बाद गांव में ही आकर रहता था। गुलशन कुमार की हत्या में शामिल एक व्यक्ति के कहने पर देवनाथ ने ही तमंचा बनाया था। बाद में जांच के दौरान असलहे पर बम्हौर की जानकारी हुई तो पुलिस ने आजमगढ़ का भी रुख किया था। बाद में पता चला कि उसी के बनाए देसी तमंचे से गुलशन कुमार की हत्या हुई थी। उस असलहे पर दर्ज बम्हौर शब्द ने वारदात की कड़ियों को आजमगढ़ से जोड़ा था। हत्या वाले दिन गुलशन कुमार मुंबई स्थित लोखंडवाला में मौजूद अपने अपने घर से थोड़ी दूर पर बने मंदिर में पूजा करने के लिए निकले और बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर उनकी हत्या कर दी थी।गुलशन कुमार पर गोलियों से 16 राउंड फायरिंग हुई थी। इस मामले में गुलशन कुमार की देशी तमंचे से हत्या करने वाले विनोद जगताप का नाम आया था और उसको उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। अबु सलेम के निशाने पर माना जाता है कि सबसे पहले सुभाष घई का नाम था। उसने उन्हें धमकी दी और आजमगढ़ के कुछ लड़कों को भी इस मामले में पकड़ा गया था। सुभाष घई ने बाद में खुद स्वीकार किया था कि अबु सलेम ने उन्हें 'परदेस' फिल्म के विदेशी राइट के लिए डिमांड की थी। बाद में अबू सलेम से फिल्मी हस्तियों को धमकाने और वसूली के साथ गुलशन कुमार हत्याकांड को लेकर भी पूछताछ हुई थी। इस मामले में संगीतकार नदीम का भी नाम आया था। हालांकि, जांच के दौरान वह लंदन में थे और वह कभी लौटकर भारत नहीं आए।
आजमगढ़ । गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को लगभग ढाई दशक के बाद फैसला सुनाया। एएनआई द्वारा जारी सूचना के अनुसार टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की 12 अगस्त 1997 को मुंबई के जुहू इलाके में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस मामले में एक अन्य आरोपी अब्दुल रशीद को सत्र न्यायालय ने पहले बरी कर दिया था, जिसे बंबई उच्च न्यायालय ने दोषी ठहराया है। अब्दुल राशिद दाउद मर्चेंट को हाइकोर्ट ने सजा सुनाए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा दी है। गुलशन कुमार हत्याकांड में बॉम्बे हाईकोर्ट ने रऊफ मर्चेंट की सजा बरकरार रखी है। रमेश तौरानी के बरी होने को बरकरार रखा है, वहीं तौरानी के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की अपील खारिज हो गई है। बम्हौर गांव की चर्चा इस हत्याकांड में अहम रही है। इसी गांव में कानपुर की फील्ड गन फैक्ट्री में काम करने वाला देवनाथ नाम का व्यक्ति था, वह गन फैक्ट्री में नौकरी छोड़ने के बाद गांव में ही आकर रहता था। गुलशन कुमार की हत्या में शामिल एक व्यक्ति के कहने पर देवनाथ ने ही तमंचा बनाया था। बाद में जांच के दौरान असलहे पर बम्हौर की जानकारी हुई तो पुलिस ने आजमगढ़ का भी रुख किया था। बाद में पता चला कि उसी के बनाए देसी तमंचे से गुलशन कुमार की हत्या हुई थी। उस असलहे पर दर्ज बम्हौर शब्द ने वारदात की कड़ियों को आजमगढ़ से जोड़ा था। हत्या वाले दिन गुलशन कुमार मुंबई स्थित लोखंडवाला में मौजूद अपने अपने घर से थोड़ी दूर पर बने मंदिर में पूजा करने के लिए निकले और बदमाशों ने गोलियों से छलनी कर उनकी हत्या कर दी थी।गुलशन कुमार पर गोलियों से 16 राउंड फायरिंग हुई थी। इस मामले में गुलशन कुमार की देशी तमंचे से हत्या करने वाले विनोद जगताप का नाम आया था और उसको उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी। अबु सलेम के निशाने पर माना जाता है कि सबसे पहले सुभाष घई का नाम था। उसने उन्हें धमकी दी और आजमगढ़ के कुछ लड़कों को भी इस मामले में पकड़ा गया था। सुभाष घई ने बाद में खुद स्वीकार किया था कि अबु सलेम ने उन्हें 'परदेस' फिल्म के विदेशी राइट के लिए डिमांड की थी। बाद में अबू सलेम से फिल्मी हस्तियों को धमकाने और वसूली के साथ गुलशन कुमार हत्याकांड को लेकर भी पूछताछ हुई थी। इस मामले में संगीतकार नदीम का भी नाम आया था। हालांकि, जांच के दौरान वह लंदन में थे और वह कभी लौटकर भारत नहीं आए।