Kundan Nishad/Nadlal Jaiswal/Beer Bahadur Singh/Saroj Singh
जौनपुर। इतिहास के पृष्ठों में शीराजे हिन्द के नाम से विख्यात जौनपुर की सामाजिक व्यवस्था अत्यन्त समृद्ध है तथा यहाॅं की ऐतिहासिक परम्परा बहुत प्राचीन है। नगर स्थित अनेक मुहल्लों ऐसे हैं जिनके नाम के पीछे इतिहास तथा रोचक जानकारी छिपी हुई है। नगर के ओलन्दगंज तथा अलफस्टीगंज नामक दो मुहल्ले ऐसे हैं जिनका नामकरण तत्कालीन ब्रिटिश अधिकारियों के नाम पर हुआ है।
इसी प्रकार ओलन्दगंज के निकट कालीकुत्ती का नामकरण एक मुस्लिम फकीर काजी कुरबी के आवास के नाम पर हुआ है। गली में उनकी काले रंग की कुटी थी। इसी कालीकुटी से बिगड़कर कालान्तर में कालीकुत्ती हो गया। प्राचीन काल में रूहट्टा में रूई का हाट था। सुतहटी में सूत, टिक्रली टोला में बिन्दी, आलता, नेल पालिश सहित श्रृंगार सामग्रियों पंचहटिया में विभिन्न प्रकार की पांच वस्तुओं का कारोबार होता था। मध्यकाल में रासमण्डल में सुन्दर मंच था जहां भगवान कृष्ण की रासलीला होने के कारण इस मुहल्ले का नामकरण रासमण्डल हेा गया। इसके निकट मानिक चैक में सोने, चांदी, हीरा जवाहरात, पुष्पराज पन्ना, तहसुनिया आदि के आभूषणों तथा रत्नोपरत्न का व्यवसाय करने वाले कारोबारी रहा करते थे। नगर के उत्तरी क्षेत्र स्थित सिपाह में कभी फौजी छावनी थी। आज भी मकान निर्माण के सिलसिले में बुनियाद खुदवाते समय भूमि के भीतर से पुराने जमाने के मटके, चिलम तथा मिट्टी के अन्य बर्तन मिला करते हैंै। नगर में ओलन्दगंज के निकट सरायपोख्ता में मध्यकाल में बाहर से शहर आकर रूकने वालों के विश्राम की व्यवस्था की गयी थी। चार पांच सौ पूर्व ताड़तला में आबादी नहीं थी जहां ताड़ के पेड़ इफरात थे जहाॅं गर्मी के मौसम में शहरी बाशिन्दे ताड़ी पीने के लिए आया जाया करते थे जिसकी वजह से इलाके का ताड़तला नामकरण हो गया। कसेरी बाजार में कास्यकार पीतल, कसकुट आदि के बर्तनों का व्यवसाय करते थे जबकि ढालगर टोला में ढाल, तलवार, कवच, भाला वगैरह युद्धोपयोगी शस्त्रों के बनाने का काम होता था। शहर में मख्दूमशाह अढ़न, शेख मोहामिद, हमाम दरवाजा, मण्डी अहमद खाॅ, मण्डी नसीब खाॅ, बल्लोच टोला, रिजवी खां सराय, रोजा जमाल खां, बाग अरब कदम रसूल शाह का पंजा, कूआं नूर खां फैजबाग, ईसापुर, बेगमगंज, मुफ्ती, दिलाजाक, मियांपुर वगैरह मुहल्लों के नाम शहर में मुसलमानी तहजीब के प्रभाव के उदारण हैं। पिछले कुछ सालों के दौरान शहरी आबादी में इजाफा होने पर चिश्त्तिया कालोनी, तारापुर कालोनी, सहकारी कालोनी पूर्वी और पश्चिमी, बैंकर्स कालोनी, प्रताप कालोनी, चित्रांश कालोनी, सिविल लाइन वगैरह की शक्ल में नये नये मुहल्ले अस्तित्व में आये। शर्की काल में मिथिला से यहां आये मैथिल कवि को किल विद्यापति तथा रासमण्डल निवासी मध्यकालीन कवि बनारसी दास जैन ने अपनी प्रस्तको में नगर स्थित अनेकानेक मुहल्लों का नामोल्लेख किया है। सुप्रसिद्ध इतिहासकार सैयद इकबाल अहमद जौनपुरी ने जौनपुर के इतिहास से सम्बन्धित अपनी प्रस्तक में शहर के 72 मुहल्लों के नामकरण पर शोध किया जाये तो निश्चित रूप से यह दिलचस्प तथा ज्ञानवर्द्धक विषय होगा।