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हिन्दू इंटर कालेज मुंगराबादशाहपुर का जालसाजी प्रकरण, विधायक सुषमा पटेल ने विधानसभा में उठाया है सवाल

#Jaunpurcitynews
विक्की गुप्ता व् सूरज विश्वकर्मा 
मुंगराबादशाहपुर: हिन्दू इंटर कालेज का जालसाजी प्रकरण को विद्यालय की चहारदीवारी से निकाल कर विधायक ने विधानसभा तक पहुंच दिया है। मुंगरा विधानसभा के विधायक डॉ सुषमा पटेल ने कालेज से संबंधित तीन विंदुओ को विधानसभा के पटल पर उठाया है।
जिसमें तथाकथित प्रबंधकों द्वारा कूट रचित प्रपत्रो का प्रबंधकीय चुनाव में प्रयोग करना, शिक्षकों व परिचारकों की नियुक्ति में फर्जी हथकंडों का प्रयोग करना तथा अवैधानिक तरीके व तथ्यों को छिपाकर हिन्दू इंटर कालेज की सात बीघा तीन विस्सा जमीन में लगभग पांच बीघा बेशकीमती जमीन को प्रबंधक जयराम त्रिपाठी द्वारा अपने नाम स्थानांतरित कराना आदि है। बताते चलें कि मुंगराबादशाहपुर में स्थित हिन्दू इंटर कालेज का जालसाजी प्रकरण को विद्यालय की चहारदीवारी से निकाल कर विधायक ने विधानसभा तक पहुंच दिया है। मुंगरा विधानसभा के विधायक डॉ सुषमा पटेल ने कालेज से संबंधित तीन विंदुओ को विधानसभा के पटल पर उठाया है। जिसमें तथाकथित प्रबंधकों द्वारा कूट रचित प्रपत्रो का प्रबंधकीय चुनाव में प्रयोग करना, शिक्षकों व परिचारकों की नियुक्ति में फर्जी हथकंडों का प्रयोग करना तथा अवैधानिक तरीके व तथ्यों को छिपाकर हिन्दू इंटर कालेज की सात बीघा तीन विस्सा जमीन में लगभग पांच बीघा बेशकीमती जमीन को प्रबंधक जयराम त्रिपाठी द्वारा अपने नाम स्थानांतरित कराना आदि है। तत्कालीन तथाकथित प्रबंधकों में जयराम त्रिपाठी व दयाशंकर पाण्डेय द्धारा किए गए घिनौने कुचाल से क्षेत्र के मदनमोहन मालवीय कहलाने वाले संस्थापक स्व यमुना प्रसाद गुप्त द्धारा सन 1923 में स्थापित कालेज की गौरव पूर्ण इतिहास पर बदनुमा दाग लगाने के साथ ही कालिख पोत दिया गया है। संस्थापक जी ने 25 वर्ष की अवस्था में तब विट्रिश हुकूमत में विद्यालय खोला था जब विद्यालय खोलना बच्चों का खेल खिलौना नही था। हकीकत तो यह है कि प्रबंधकों ने मां सरस्वती मंदिर को कामधेनु समझ कर दोहन करने का काम किया है। इसे हिन्दू हाई स्कूल सोसाइटी के सदस्यों के शिकायत पर विधायक ने अपने सच्चे जनप्रतिनिधि होने के दायित्व को बखूबी निभाते हुए मामले को विधानसभा में ले गई है। अब जानिए विधायक द्धारा उठाया गया तीन सवाल क्या है ? पहला_ प्रबंधकीय चुनाव में स्व हनुमान दीन गुप्त कमेटी में अध्यक्ष व कृस्ण चंद्र गुप्त की अध्यक्षता में चुनाव दिखाया गया था जबकि दोनों ने हलफनामा देकर चुनाव में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया था।इसी तरह से तीन दर्जन से अधिक लोगों ने हलफनामा देकर चुनाव में हिस्सा लेने से इंकार किया है।बलिभद्र सिंह, रामेश्वर प्रसाद गुप्त, अस्टभुजा देवी, राधेश्याम गुप्त आदि सरीखे कई लोगों की मृत्यु दिखाएं गए चुनाव से पूर्व हो चुका था। जिन्हें चुनाव में हिस्सा लेना दिखाया गया है। इन दोनों प्रबंधकों के खिलाफ थाने में धोखाधड़ी की धाराओं 419,420,467,468,471,120 बी में मुकदमा दर्ज होकर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल हो चुका था। न्यायालय से कुर्की व गैरजमानती वारंट भी जारी हो चुका था।
तत्कालीन तथाकथित प्रबंधकों में जयराम त्रिपाठी व दयाशंकर पाण्डेय द्धारा किए गए घिनौने कुचाल से क्षेत्र के मदनमोहन मालवीय कहलाने वाले संस्थापक स्व यमुना प्रसाद गुप्त द्धारा सन 1923 में स्थापित कालेज की गौरव पूर्ण इतिहास पर बदनुमा दाग लगाने के साथ ही कालिख पोत दिया गया है। संस्थापक जी ने 25 वर्ष की अवस्था में तब विट्रिश हुकूमत में विद्यालय खोला था जब विद्यालय खोलना बच्चों का खेल खिलौना नही था। हकीकत तो यह है कि प्रबंधकों ने मां सरस्वती मंदिर को कामधेनु समझ कर दोहन करने का काम किया है। इसे हिन्दू हाई स्कूल सोसाइटी के सदस्यों के शिकायत पर विधायक ने अपने सच्चे जनप्रतिनिधि होने के दायित्व को बखूबी निभाते हुए मामले को विधानसभा में ले गई है। अब जानिए विधायक द्धारा उठाया गया तीन सवाल क्या है ? पहला_ प्रबंधकीय चुनाव में स्व हनुमान दीन गुप्त कमेटी में अध्यक्ष व कृस्ण चंद्र गुप्त की अध्यक्षता में चुनाव दिखाया गया था जबकि दोनों ने हलफनामा देकर चुनाव में हिस्सा लेने से इंकार कर दिया था।इसी तरह से तीन दर्जन से अधिक लोगों ने हलफनामा देकर चुनाव में हिस्सा लेने से इंकार किया है।बलिभद्र सिंह, रामेश्वर प्रसाद गुप्त, अस्टभुजा देवी, राधेश्याम गुप्त आदि सरीखे कई लोगों की मृत्यु दिखाएं गए चुनाव से पूर्व हो चुका था। जिन्हें चुनाव में हिस्सा लेना दिखाया गया है। इन दोनों प्रबंधकों के खिलाफ थाने में धोखाधड़ी की धाराओं 419,420,467,468,471,120 बी में मुकदमा दर्ज होकर न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल हो चुका था। न्यायालय से कुर्की व गैरजमानती वारंट भी जारी हो चुका था। सोसायटी व एजूकेशन एक्ट के नियमों के विरुद्ध तत्कालीन प्रबंधक जयराम त्रिपाठी ने हिन्दू इंटर कालेज की जमीन जिस पर बालिका विद्यालय चल रहा है उसे मछली शहर न्यायालय में 229 बी के तहत अपने को ही वादी प्रतिवादी बनाकर, कूट रचित प्रपत्रो का प्रयोग कर तथा तथ्यों को छिपाकर पांच बीघा तीन विस्सा जमीन अपने नाम करा लिया है। जबकि सहायक निबंधक फर्म्स सोसायटीज एवं चिट्स वाराणसी द्धारा जारी पत्र के मुताबिक संस्था की संपत्ति दूसरी सोसायटी को स्थानांतरित नही की जा सकती है। पंजीकृत संस्था की जमीन पर दूसरी संस्था का न तो पंजीकरण हो सकता है और न ही विद्यालय संचालित कर सकती है।तो इससे साफ जाहिर होता है कि जमीन स्थानांतरण में सौदेबाजी का लंबा खेल चला होगा। जानिए अब हिन्दू इंटर कालेज के नाम सिर्फ दो बीघा जमीन बचा हुआ है। नियुक्ति में धांधली_ सईद अहमद की नियुक्ति परिचारक पद पर पिछड़ी जाति के रूप में मृतक आश्रित पर 1-1-2004 में हुआ था। जिसे अनुसूचित जाति दिखा कर तथा स्थान को रिक्त दिखा कर उसके स्थान पर तत्तकालीन प्रबंधक दयाशंकर पाण्डेय सहित विद्यालय से संबंधित एक जिम्मेदार द्धारा दूसरी नियुक्ति कर दिया गया है। जबकि परिचारक पद पर कार्यरत सईद ने सबूतों के साथ हलफनामा देकर अपने को पिछड़ा वर्ग का होना साबित किया है। कला विषय का फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी हासिल करना, जन्म तिथि को छिपाना तथा अध्यापक हरिहर प्रसाद गुप्त को चिकित्सीय अवकाश दिखाकर उनके स्थान पर दूसरे की नियुक्ति करना है जबकि हरिहर प्रसाद गुप्त जून1999 तक उपस्थित पंजीका पर हस्ताक्षर किए हैं।आदि कई नियुक्ति के मामले में धांधली तत्कालीन प्रबंधक जयराम त्रिपाठी द्वारा किया गया है। सच तो यह है कि एक तरफ प्रबंधकों ने लूटने का काम किया है तो वहीं अब विकास की बात करने वाले आज भी विद्यालय के जिम्मेदारों द्धारा छात्रों की दाखिला के नाम पर व प्रेटिकल के नाम पर धन दोहन का काम करने में चूक नही रहे है। वर्तमान समय में छात्रों से वसूला गया कई लाख रुपए विद्यालय में खर्च करने के बजाय अपना जेब भरने का काम किया गया है। जहां पर विधायक द्धारा उठाए गए इस साहसी कदम की खुब सराहना हो रही है वहीं यह मामला चर्चाएं आम हो गई है। फिर हाल निस्पक्ष जांच के बाद ही दूध पानी अलग हो सकता है। यह तो विद्यालय में हुए भ्रस्टाचार का एक छोटा सा नमूना है।
नियुक्ति में धांधली_ सईद अहमद की नियुक्ति परिचारक पद पर पिछड़ी जाति के रूप में मृतक आश्रित पर 1-1-2004 में हुआ था। जिसे अनुसूचित जाति दिखा कर तथा स्थान को रिक्त दिखा कर उसके स्थान पर तत्तकालीन प्रबंधक दयाशंकर पाण्डेय सहित विद्यालय से संबंधित एक जिम्मेदार द्धारा दूसरी नियुक्ति कर दिया गया है। जबकि परिचारक पद पर कार्यरत सईद ने सबूतों के साथ हलफनामा देकर अपने को पिछड़ा वर्ग का होना साबित किया है। कला विषय का फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी हासिल करना, जन्म तिथि को छिपाना तथा अध्यापक हरिहर प्रसाद गुप्त को चिकित्सीय अवकाश दिखाकर उनके स्थान पर दूसरे की नियुक्ति करना है जबकि हरिहर प्रसाद गुप्त जून1999 तक उपस्थित पंजीका पर हस्ताक्षर किए हैं।आदि कई नियुक्ति के मामले में धांधली तत्कालीन प्रबंधक जयराम त्रिपाठी द्वारा किया गया है। सच तो यह है कि एक तरफ प्रबंधकों ने लूटने का काम किया है तो वहीं अब विकास की बात करने वाले आज भी विद्यालय के जिम्मेदारों द्धारा छात्रों की दाखिला के नाम पर व प्रेटिकल के नाम पर धन दोहन का काम करने में चूक नही रहे है। वर्तमान समय में छात्रों से वसूला गया कई लाख रुपए विद्यालय में खर्च करने के बजाय अपना जेब भरने का काम किया गया है। जहां पर विधायक द्धारा उठाए गए इस साहसी कदम की खुब सराहना हो रही है वहीं यह मामला चर्चाएं आम हो गई है। फिर हाल निस्पक्ष जांच के बाद ही दूध पानी अलग हो सकता है। यह तो विद्यालय में हुए भ्रस्टाचार का एक छोटा सा नमूना है।