लखनऊ । कोरोना संक्रमण काल में शहरी व ग्रामीण इलाकों में रहने वाले पारंपरिक कारीगर जैसे बढ़ई व कुम्हार सहित मधुमक्खी पालन में लगे किसानों को आत्मनिर्भर भारत योजना का लाभ देकर उनकी आमदनी को बढ़ाने की कवायद शुरू हो गई है। अन्य श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाकर युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ा जाएगा। पारंपरिक कामगारों की कला को नई ऊंचाई देने देने के लिए आत्म निर्भर भारत योजना के तहत लखनऊ समेत सूबे के 19 जिलों के पारंपरिक कारीगरों के काम को नई ऊंचाई दी जाएगी। मिट्टी का परपंरागत काम करने वाले कुम्हारों को बिजली चालित चाक देकर उनके हुनर की कला को बुलंदी दी जाएगी तो काष्ठ कला के करीगरों को नई तकनीक का प्रशिक्षण देकर उनकी कलाकर देश विदेश तक फैलाया जाएगा। इसी जिम्मेदारी खादी और ग्रामोद्योग आयोग को दी गई है। भारत सरकार के खादी और ग्रामोद्योग आयोग के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग की पहल पर सूबे में पहले चरण में 19 जिलों में यह योजना लागू की जाएगी। इस चरण में कुम्हारी कला, शहद उत्पादन, लेदर क्राफ्ट और लकड़ी की कला को शामिल किया गया है। इनके कारीगरों को संक्रमण के चलते आनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा।