रोशन साहनी व डबलू निषाद वाराणसी। काशी विश्वनाथ दरबार में रंगभरी एकादशी
की परंपरा के निर्वहन के लिए तैयारियां सुबह से ही जारी थीं, शाम होते ही
बरात निकली और काशी विश्वनाथ गली अबीर और गुलाल से सराबोर हो उठी।
चारों ओर डमरु दल की ओर से बाबा के स्वागत में नाद से काशी की गलियां गूंज उठीं। इससे पूर्व शनिवार को श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिसर स्थित महंत आवास पर शाम से ही मंगल गीतों से गूंजने लगा। गौरा का गौना कराने ससुराल आए भोले बाबा ने कलेवा का स्वाद लिया। बरातियों ने भी इसे प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया। बाबा के गौना की बरात रंगभरी एकादशी पर देर शाम निकली तो लोगाें ने हरहर महादेव का उदघाेष कर बरात का स्वागत किया। इसी के साथ काशी में रंग पर्व की शुरुआत हो गई। अलग दिन बाबा भोलेनाथ अपने गणों के साथ मणिकर्णिका घाट पर चिता भस्म की होली खेलेंगे और भक्तों को आशाीर्वाद प्रदान करेंगे। गौना के लिए बाबा दो दिन पहले शुक्रवार को ही ससुराल आ चुके थे। एक दिन पूर्व शनिवार की शाम को बाबा विश्वनाथ के साथ आए गणों को पूड़ी-सब्जी समेत 11 तरह के पकवानों का भोग लगा कर कलेवा की रस्म निभाई गई। इस दौरान बाबा व माता पार्वती की गोद में प्रथम पूज्य गणेश की रजत प्रतिमाओं को एक साथ सिंहासन पर विराजमान करा कर पूजन-आरती की गई । महिलाओं ने अंखड सुहाग कामना के साथ विदाई गीत गाए। रात भर अायोजनों का क्रम चला तो सुबह से ही बरात निकालने की तैयारियों के बीच जयघोष ने होली का रंग काशी पर चढा दिया।