वाराणसी। महाशिवरात्रि पर संबंधों की डोर काशी
में विशेष ताैर पर नजर आई जब पूरी काशी अलग अंदाज में अपने बाबा का
विवाहोत्सव मनाने उमडी। गोधूलि बेला से पूर्व शिव बरात निकली तो पूरी रात
की तैयारियों के साथ बराती भी साथ हो लिए।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के
गर्भगृह में पर्व विशेष पर दूल्हा भोले के विवाह की चार प्रहर आरती के रूप
में रस्में निभाई गईं। रानी भवानी परिसर में जनवासा सजा और भक्त मंडली पूरे
भाव के साथ मंगल गीत गाने में व्यस्त रही।
अन्नपूर्ण दरबार में खेली भस्म होली
बाबा की नगरी काशी का महापर्व बाबा के महाशिवरात्रि से प्रारम्भ होता है
इसी के बाद से काशी में होली प्रारम्भ हो जाती है काशी के गण भस्म होली
खेल कर इस परम्परा को आगे बढ़ाते है। इस बार तो प्रयागराज के आखरी शाही
स्नान के बाद हजारों की संख्या में साधु सन्त भोलेनाथ की एक प्रिय नगरी में
से एक काशी जा पहुंचे जहां बाबा के गढ़ के रूप में अपने भोले का दर्शन करते
हैं और भस्म होली खेलते हैं। उसी क्रम में सोमवार दोपहर महानिर्णमाणी
अखाड़ा के साधु सन्त महा मण्डलेश्वर रथ पर सवार हो कर अपने स्थान से बाबा
दरबार के तरफ काफिला बढा। रास्ते में भक्तों का हुजूम साधुअों के स्वागत व
उनके आशीर्वाद को पाने के लिये खड़ा था आगे डमरू दल चल रहा था। हर कोई उन
नाग साधुओं को देख हाथ जोड़ महादेव के उद्घोष से स्वागत करता दिखा।
ज्ञानवापी पर महानिर्वाणी अखाड़ा के संत पहुंचे जहां प्रशासन के अधिकारी
स्वागत कर बाबा दरबार तक ले गये। इसके बाबा बराती मां अन्नपूर्णेश्वरी द्वार पर पहुंचे जहां अन्नपूर्णा
ऋषिकुल के 251 बटुकों ने मन्त्रोच्चार के साथ आये संतों का स्वागत किया।
फिर अन्नपूर्णा मन्दिर के महंत अखाड़ा के सभी साधु सन्तों को पुष्पों की
पंखुडी को उड़ा कर व भस्म लगा कर मां दरबार में मत्था टेका। इसके बाद सभी ने
पूरे मन्दिर परिसर में भस्म की होली खेली। आये हुये साधु सन्तों को प्रसाद
रूप में ठंडई व मीठा दिया गया। उस दौरान साधु संतों के साथ उप महंत शंकर
पुरी मंदिर परिवार रहा।