फाइल फोटो |
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वंदेश सिंह व् सरोज सिंह
जौनपुर। कोरोना वायरस की आपदा को देखते हुवे श्रद्धालुओ के लिए बंद कर शहर के दक्षिणी छोर पर सिटी स्टेशन रेलवे क्रासिंग के निकट स्थापित मंदिर में श्री मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली की विशाल प्रतिमा अत्यन्त मनोहारी है। पूर्वान्चल में ऐसे आकर्षक भव्य कालिका धाम मंदिर की महिमा अत्यन्त निराली है।
यहां माँ का दर्शन पूजन एवं श्रद्धा समर्पण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मंगलवार को मां ददक्षिणी काली का भव्य श्रृंगार कर पूजन अर्चन किया गया। नवरात्रि सप्तमी के दिन नव दुर्गा का सांतवां स्वरूप कालरात्रि है। इस दिन माँ दक्षिणा काली का भव्य श्रृंगार किया गया। मां के जयकारे व घंटे घड़ियाल की ध्वनि से पूरा वातावरण जागृत हो गया। मंदिर के संस्थापक व संचालक भगवती सिंह ‘वागीश’ ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना सन् 1984 में हुई। यह स्थलीय काली जी की सनातनी सिद्धपीठ हैं। मां काली कलयुग की एक मात्र महा अधिष्ठात्री देवी हैं। जिसकी कृपा शक्ति से सारा ब्रह्माण्ड संचालित हो रहा है। जो व्यक्ति मां काली के नाम पर प्रति पल स्मरण करता है। उसके दुर्भाग्य का विनाशन एवं सौभाग्य का उदय हो जाता है। तथा मृत्यु काल उससे कोसों दूर भाग जाता है। पराक्रम, शौर्य, आनंद, समृद्धि, सम्मान, सद्ज्ञान की इस देवी का दर्शन पूजन जीवन को उल्लासित व आनंदित कर देता है। मां काली की उपासना से मानव जीवन में सुख शांति, आरोग्यता, शत्रु नाश, सम्मान, सद्ज्ञान एवं सम्पन्नता का समावेश हो जाता है। मां काली देखने में भयंकर परंतु उनका हृदय करूणा का सागर है। मां काली की उपासना मनुष्य के भाग्य का दरवाजा खोल देती है। अतः कलयुग में काली जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
वंदेश सिंह व् सरोज सिंह
जौनपुर। कोरोना वायरस की आपदा को देखते हुवे श्रद्धालुओ के लिए बंद कर शहर के दक्षिणी छोर पर सिटी स्टेशन रेलवे क्रासिंग के निकट स्थापित मंदिर में श्री मां आद्याशक्ति दक्षिणा काली की विशाल प्रतिमा अत्यन्त मनोहारी है। पूर्वान्चल में ऐसे आकर्षक भव्य कालिका धाम मंदिर की महिमा अत्यन्त निराली है।
यहां माँ का दर्शन पूजन एवं श्रद्धा समर्पण करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। मंगलवार को मां ददक्षिणी काली का भव्य श्रृंगार कर पूजन अर्चन किया गया। नवरात्रि सप्तमी के दिन नव दुर्गा का सांतवां स्वरूप कालरात्रि है। इस दिन माँ दक्षिणा काली का भव्य श्रृंगार किया गया। मां के जयकारे व घंटे घड़ियाल की ध्वनि से पूरा वातावरण जागृत हो गया। मंदिर के संस्थापक व संचालक भगवती सिंह ‘वागीश’ ने बताया कि इस मंदिर की स्थापना सन् 1984 में हुई। यह स्थलीय काली जी की सनातनी सिद्धपीठ हैं। मां काली कलयुग की एक मात्र महा अधिष्ठात्री देवी हैं। जिसकी कृपा शक्ति से सारा ब्रह्माण्ड संचालित हो रहा है। जो व्यक्ति मां काली के नाम पर प्रति पल स्मरण करता है। उसके दुर्भाग्य का विनाशन एवं सौभाग्य का उदय हो जाता है। तथा मृत्यु काल उससे कोसों दूर भाग जाता है। पराक्रम, शौर्य, आनंद, समृद्धि, सम्मान, सद्ज्ञान की इस देवी का दर्शन पूजन जीवन को उल्लासित व आनंदित कर देता है। मां काली की उपासना से मानव जीवन में सुख शांति, आरोग्यता, शत्रु नाश, सम्मान, सद्ज्ञान एवं सम्पन्नता का समावेश हो जाता है। मां काली देखने में भयंकर परंतु उनका हृदय करूणा का सागर है। मां काली की उपासना मनुष्य के भाग्य का दरवाजा खोल देती है। अतः कलयुग में काली जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।