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योगी आदित्यनाथ का भ्रष्टाचार पर बड़ा एक्शन, सोनभद्र डीएम टीके शिबू को किया गया निलंबित

#JCN yogi adityanath: Sonbhadra DM ko kiya gaya nilambit: सोनभद्र डीएम को किया  गया निलंबित - Navbharat Times
Kundan Nishad, Shyamsundar Sahani, Sintou Nishad 
लखनऊ। योगी आदित्यनाथ ने दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के एक सप्ताह के भीतर भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने सोनभद्र जिलाधिकारी (डीएम) टीके शिबू को खनन मामले में अनियमितता के आरोप में निलंबित कर दिया है। मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंध निदेशक रहे चंद्रविजय सिंह सोनभद्र के नए जिलाधिकारी बनाये गए हैं। 2012 बैच के आईएएस अधिकारी टीके शिबू के खिलाफ बड़ी कार्रवाई कर सीएम योगी ने स्पष्ट कर दिया है कि पूर्व की भांति ही भष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति इस कार्यकाल में भी सक्ती से लागू रहेगी। खनन में भ्रष्टाचार की शिकायतों के साथ ही विधानसभा चुनाव में लापरवाही के लिए दोषी पाए गए सोनभद्र के जिलाधिकारी टीके शिबू को निलंबित कर दिया गया है। विंध्याचल मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट पर शासन ने यह सख्त कार्रवाई की है। इसके साथ ही अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए आरोप-पत्र जारी करने का आदेश शासन ने दिया है। अपर मुख्य सचिव नियुक्ति डा. देवेश चतुर्वेदी की ओर से गुरुवार को संबंधित आदेश जारी किया गया। इसमें कहा गया है कि सोनभद्र के जिलाधिकारी टीके शिबू के विरुद्ध शासन के संज्ञान में यह तथ्य आए थे कि उनके विरुद्ध खनन, जिला खनिज न्यास समिति और अन्य निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की शिकायतें जनप्रतिनिधियों द्वारा की जाती रही हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान भी जिला निर्वाचन अधिकारी के रूप में गंभीर लापरवाही बरती। उदाहरण दिया है कि पोस्टल बैलेट पेपर सील नहीं किए। वह सार्वजनिक स्थल प्रदर्शित होने से पूरे जिले का मतदान निरस्त होने की स्थिति पैदा हुई। तब विंध्याचल मंडलायुक्त ने जनप्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर पोस्टल बैलेट पेपर सील कराकर मामले को निस्तारित कराया। आरोप लगाया है कि आम जनता और जनप्रतिनिधियों से भी डीएम की दूरी रहती है। इस पूरे मामले की जांच मंडलायुक्त को सौंपी गई थी। जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं के लिए डीएम शिबू को प्रथम दृष्टया दोषी पाया गया है। आइएएस अधिकारी का यह कृत्य अखिल भारतीय सेवाएं (आचरण) नियमावली-1968 के नियम-3 का उल्लंघन है।  शासन ने राज्यपाल की अनुमति से अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं। इसमें आरोप-पत्र अलग से जारी किए जाएंगे। इसके साथ ही विभागीय कार्रवाई में जांच के लिए वाराणसी के मंडलायुक्त को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। इस अवधि में टीके शिबू राजस्व परिषद, लखनऊ से संबद्ध रहेंगे और बिना लिखित अनुमति लिए मुख्यालय नहीं छोड़ सकेंगे। उल्लेखनीय है कि अपनी सरकार के पहले कार्यकाल में सीएम योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का संदेश लगाता देते रहे और अब दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में ही इस बड़ी कार्रवाई से उन्होंने प्रशासनिक तंत्र को सख्त संदेश दे दिया है।