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सनातन धर्मावलंबी हिंदू नवसंवत्सर रूप में मानते और मनाते

वाराणसी। भारतीय संस्कृति अनुसार नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है। इसे सनातन धर्मावलंबी हिंदू नवसंवत्सर रूप में मानते और मनाते हैं। तिथि अनुसार राक्षस नाम नवसंवत्सर 2079 का आरंभ दो अप्रैल को हो रहा है। हालांकि वैशाख कृष्ण त्रयोदशी बृहस्पतिवार (28 अप्रैल) को नल नामक संवत्सर का प्रवेश हो जाएगा, लेकिन वर्ष पर्यंत संकल्पादि में राक्षस नामक संवत्सर का ही विनियोग होगा। इस बार नवसंवत्सर 'राक्षस' के राजा शनि और देवगुरु बृहस्पति मंत्री हैं।खास यह कि नव संवत्सर के राजा शनि और मंत्री देवगुरु बृहस्पति होंगे। नौकरशाहों तक के कारक माने जाते है। उनके राजा होने से न्यायालयी कार्यों में तेजी, नौकरशाहों का वर्चस्व, नौकरीपेशा वालों को अधिकाधिक प्रोन्नति के योग बनेंगे। हालांकि शास्त्र अनुसार शनि देव के राजपद पर होने से जनता में असंतोष व कष्ट होता है। वहीं, देवगुरु बृहस्पति को मंत्री पद से धार्मिक कार्य-आयोजन में वृद्धि, मंदिरों का जीर्णोद्धार के साथ आर्थिक स्थिति में सुधार नजर आता है। खगोलीय घटनाओं का वर्ष : खगोलीय दृष्टि से भी यह साल खास रहने वाला है। इसमें चार ग्रहण होंगे। इसमें दो सूर्य तो दो चंद्र ग्रहण होंगे। भारत में एक चंद्र व एक सूर्य ग्रहण नवंबर-दिसंबर में दिखेगा। गोचर के प्रमुख ग्रह बृहस्पति व राहु-केतु 12-13 अप्रैल को और शनि 29 अप्रैल को राशि परिवर्तित करेंगे। इससे धनु राशि वालों को साढ़ेसाती और मिथुन कुंभ वालों को अढैया से मुक्ति मिलेगी। अप्रत्याशित घटनाओं का साल : वर्ष लग्न की कुंडली मिथुन लग्न व मीन राशि की है। लग्नेश बुध दशम भाव में सूर्य -चंद्र-केतु के साथ मीन राशि में बुध नीच का होकर बैठा है। शनि की तृतीय दृष्टि दशम् भाव पर पडऩे से प्राकृतिक आपदा, भूकंप, सुनामी, दैवीय आपदा, विश्व पटल पर अप्रत्याशित घटनाओं से पश्चिमी देशों में हलचल का माहौल रहेगा। विश्व व्यापार पर भी संकट देखने को मिलेगा। जग लग्न की कुंडली मिथुन लग्न, सिंह राशि की है। लग्नेश बुध, सूर्य-राहु के साथ आय भाव में विराजमान है। इससे पश्चिमी देशों में आपसी वैमनस्यता बढ़ेगी। सोना-चांदी, पेट्रो पदार्थों के भाव में वृद्धि दिखेगी। भारत की कुंडली में मजबूती का योग : भारत की कुंडली वृष लग्न, कर्क राशि की है। अप्रैल में ग्रहों के राशि परिवर्तन से भारत की स्थिति विश्व पटल पर मजबूत होती नजर आएगी, लेकिन पड़ोसी देशों से सावधान रहने की आवश्यकता होगी। भारत को पूर्वी देशों से सहयोग मिलेगा। आयात- निर्यात की स्थिति सामान्य तो शेयर बाजार में असामान्य स्थिति दिखेगी।
#JCN
Beer Bahadur Singh and Saroj Singh