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जौनपुर में ऐतिहासिक शाही किला में पास के लिए कराना होगा पुलिस से सत्यापन

मार्निंग वाक के लिए सुबह छह बजे होगा शाही किला में प्रवेश 
सरोज सिंह व कुंदन कुमार की रिपोर्ट 
जौनपुर। ऐतिहासिक शाही किले में नियमित टहलने वालों को पास बनवाने के लिए अब पुलिस से सत्यापन भी कराना होगा।
पुलिस सत्यापन के बाद ही उन्हें तीन महीने के लिए पास जारी किया जाएगा। इस संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग सारनाथ के अधीक्षण पुरातत्व विद् ने पुरतत्व वभाग के स्थल प्रभारी को पत्र भेजा है। जिसमें शाही किले में नियमित आने वाले लोगों के लिए पास जारी करने से पहेल कई निर्देशों का पालन करने को कहा गया है।  जिसमें पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट अनिवार्य होगी। पुरातत्व विभाग की इस नई व्यवस्था से लोगों में असंतोष है। शहर के उत्तरी इलाके में गोमती नदी के तटपर स्थित ऐतिहासिक शाही किले में स्वास्थ्य लाभ के लिए सैकड़ों की संख्या में लोग नियमित रूप से सुबह शाम टहलने के लिए आते हैं। अभीतक व्यवस्था थी कि शाही किले में स्थापित पुरातत्व विभाग स्थल प्रभारी के कार्यालय से ही पास जारी कर दिया जाता था। लेकिन अब यहां से पास प्राप्त करने से पहले लोगों को पुलिस से अपने पते का सत्यापन कराना जरूरी होगा। पुलिस की सत्यापन रिपोर्ट के साथ निर्धारित प्रोफार्मा पर दो फोटो व आवेदन शुल्क के साथ आवेदन करना होगा। स्थल प्रभारी को भेजे गए निर्देशों में कहा गया है कि प्रात: कालीन भ्रमण का पास प्राप्त करने के लिए आवेदनकर्ता को पुलिस द्वारा सत्यापन कराकर ही आवेदन करना होगा। 50 रुपये प्रति माह की दर से जमा करना होगा। एक बार में तीन माह के लिए पास जारी किया जाएगा। इस पास पर डेढ़ घंटे तक शाही किलो में टहल सकते हैं। नियमों का तीन बार उलंघन करने पर पास को निरस्त कर दिया जाएगा। 
मार्निंग वाक के लिए सुबह छह बजे होगा प्रवेश 
शाही किले में प्रात: कालीन भ्रमण कर्ताओं के लिए भ्रमण का समय सुबह 6 बजे से 7:30 बजे तक होगा। पास धारक सिर्फ डेढ़ घंटे का समय शाही किले में बिता सकेंगे। गेट पर ही उनके प्रवेश का समय दर्ज कर दिया जाएगा। शाही किले के अंदर अगर डेढ़ घंटे से अधिक समय तक पाया गया तो यह नियमों का उलंघन माना जाएगा। लगातार तीनबार नियमों का उलंघन करने पर उनका पास निरस्त कर दिया जाएगा। 
फिरोज शाह ने बनवाया था शाही किला 
जौनपुर। शाही किला गोमती के बाएं किनारे पर शहर के मध्य में स्थित है। शाही किला का निर्माण फिरोज शाह ने 1362 ई. में बनवाया था। इस किले के भीतरी गेट की ऊचाई 26.5 फुट और चौड़ाई 16 फुट है। केंद्रीय फाटक 36 फुट उचा है। इसके एक शीर्ष पर वहाँ एक विशाल गुंबद है। यह आलीशान इमारत अपने प्राचीन वैभव की कहानी बयान करती है। 
स्मारक की सुरक्षा के लिहाज से पास के लिए पुलिस द्वारा सत्यापन कराने की व्यवस्था लागू की गई है। बिना पुलिस के सत्यापन के कोई भी पास के लिए अब आवेदन नहीं कर सकेगा। 
एन सिन्हा 
अधीक्षण अभियंता भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण सारनाथ