तेज धूप में सड़क का काम करता मजूदर परिवार। |
ऐसे में मजदूर परिवार किस प्रकार पत्थर के बोल्डर भरे गर्म मसले को उठाकर समतलीकरण का कार्य कर रहे हैं। यह देखकर ही पसीना छूट जाता है लेकिन वे अपने काम में लगे रहते हैं। उनके लिए चाहे जेठ बैशाख की तपमी धूप हो अथवा पूस माघ की कड़कती और हाड़ कंपा देने वाल ठण्ड में कठिन परिश्रम करने पर मजबूर होना पड़ता है। किसान और मजदूर अपने खून पसीने की ममेहनत के बल पर अन्न और चमचमाती सड़कों को बनाने का काम कैसे और कौन हालात में करते हैं। यह तो उस स्थिति का वास्तविक आंकलन करने वाला ही समझ सकता है।